Wednesday , October 11 2023

कलाओं के माध्‍यम से अपने अंदर सकारात्‍मक ऊर्जा भरना सिखाया स्‍तन कैंसर रोगियों को

-कोई भी कलात्‍मक क्रिया करते समय सक्रिय हो जाती हैं पांचों इन्द्रियां

-स्तन कैंसर सपोर्ट ग्रुप की मीटिंग में ऑनलाइन जुड़ीं मुंबई से डॉ सची पंड्या

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कैंसर पेशेंट्स के साथ सेशन का मूल उदेश्य कैंसर के उपचार में लाभ पहुंचाने के लिए उन्‍हें सकारत्मक उर्जा और आत्मबल का अनुभव कराना था। आज का सेशन प्रकृति से जुड़कर और प्रेरणा लेकर अपने भीतर के गुणों और शक्तियों को पहचानने की एक छोटी सी कोशिश थी। हमारी आत्मशक्ति को उजागर करना और स्वयं के सच को पहचानना, वर्तमान क्षण में रहना एक कोशिश है तनाव से अपने आप को मुक्त करने की। कला और चिंतन के समन्वय से ये बिलकुल आसान बन जाता है। कला और रचनात्मक क्षमता का वरदान हम सभी को प्राप्त है और इसके द्वारा हम ज़िन्दगी की कई समस्याओं का हल ढूंढ़ सकते हैं और हर पल में खुलकर, जी भरकर जी सकते हैं।

यह कहना है मुंबई की मनोचिकित्सक और आर्ट्स बेस्ड थेरेपी प्रैक्टिशनर डॉ सची पंड्या का। डॉ सची ने बुधवार को केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में प्रतिमाह होने वाली स्तन कैंसर सपोर्ट ग्रुप की मीटिंग में मरीजों को सम्‍बोधित करते हुए कही। ऑनलाइन मीट का आयोजन एंडोक्राइन सर्जरी के विभागाध्‍यक्ष प्रो आनन्‍द कुमार मिश्र के नेतृत्‍व में किया गया। मुम्‍बई से गूगल मीट के माध्‍यम से ऑन लाइन जुड़ते हुए डॉ सची ने कहा कि “आर्ट्स बेस्ड थेरेपी” (ABT) एक प्रकार की मनोचिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न प्रकार की कलाएं जैसे कि संगीत, नाट्य कला, साहित्य, लेखन, काव्य, चित्रकारी आदि का समुच्चय उपयोग कई प्रकार की मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। उन्‍होंने बताया कि इसके साथ ही खेल और क्रीड़ायें, सचेतन ध्यान (MINDFULNESS) और मन को एकाग्र करने के कई मज़ेदार तरीके अपनाएं जाते हैं। इस थेरेपी के बारे में बताते हुए डॉ सची ने कहा कि ‘आर्ट्स बेस्ड थेरेपी’ को भारत में वर्ल्ड सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग फाउंडेशन ने 2001 में प्रस्थापित किया और यह थेरेपी भारतीय और बौद्ध मनोचिकित्सा प्रणाली के सिद्धांत, और स्टडीज ऑफ़ ह्यूमन डेवलपमेंट & कोग्नीटिव न्यूरोसाइंस पर आधारित है।

उन्‍होंने बताया कि हम जब कोई कलात्मक क्रिया करते हैं तब हमारी पांचों इन्द्रियां उसमें सक्रि‍य हो जाती हैं जिससे हम ज्यादा जागरूक महसूस करते हैं और हमें स्पष्टता मिलती है। यह बिलकुल ध्यान अवस्था के बराबर है जहाँ रहकर हम अपने नकारात्मक विचारों और भावनाओं को निष्पक्ष होकर देख सकते हैं। इस थेरेपी का प्रभावपूर्ण उपयोग किसी भी आयु वर्ग के लिए किया जा सकता है। मानसिक समस्याओं के आधार पर थेरेपी का उद्देश्य केन्द्रित होता है।

उन्‍होंने बताया कि मनोचिकित्‍सा और आध्‍यात्‍म एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और कला के माध्‍यम से हम मन को एकाग्र करने के प्रयास करते हैं, ताकि हम जीवन के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए अपनी ऊर्जा शक्ति का सही उपयोग कर सकें।