‘इंडियन जर्नल ऑफ पॉजिटिव साइकोलॉजी’ में प्रकाशित हुई है यह स्टडी धर्मेन्द्र सक्सेना लखनऊ। शादी-विवाह और अन्य शुभ कार्यों में अचानक पहुंच कर ढोलक बजाकर, नाच-गाकर अपना नेग मांगने वाले हिजड़ों से आप बखूबी वाकिफ होंगे। पारम्परिक तौर पर दूसरों की खुशियों में शरीक होकर अपना और अपने जैसों का …
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