Wednesday , October 11 2023

एमएलसी चुनाव न कराने के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका

-हारने के डर से चुनाव से भाग रही है उत्‍तर प्रदेश सरकार : डॉ महेन्‍द्र नाथ राय

डॉ महेन्‍द्र नाथ राय

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश माध्‍यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री व प्रवक्‍ता डॉ महेन्‍द्र नाथ राय और राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के अध्‍यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने विधान परिषद के चुनाव जल्द से जल्द कराने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल कर दिया है। चुनाव आयोग और सरकार को उसकी नोटिस मिल गई है। डॉ राय का आरोप है कि सरकार द्वारा चुनाव न कराकर शिक्षकों और बेरोजगारों की आवाज को दबाने का जो भी प्रयास किया जाएगा उसको नाकाम करने का हर प्रयास हम लोगों के द्वारा किया जाएगा। चुनाव आयोग को अपने संवैधानिक दायित्वों से पीछे नहीं हटना चाहिए ।

डॉ राय ने यहां कहा कि एक तरफ निर्वाचन आयोग बिहार में विधानसभा का चुनाव कराने की घोषणा कर चुका है दूसरी तरफ यूपी सहित अन्य पूरे देश की विधानसभाओं के उपचुनाव कराने की भी घोषणा की जा चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश की शिक्षक और स्नातक विधान परिषद सीट के चुनाव कराने के लिए सरकार तैयार नहीं है। चुनाव आयोग को सरकार द्वारा लिखित रूप से दे दिया गया है कि इन चुनावों को न कराया जाए। सरकार चुनाव हारने के डर से चुनाव से भाग रही है।

यह आरोप उत्‍तर प्रदेश माध्‍यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री व प्रवक्‍ता डॉ महेन्‍द्र नाथ राय ने लगाते हुए कहा है कि चुनाव भी सत्ता दल के घमंड को दूर करने का एक साधन होता है सरकार की संवेदनहीन नीतियों से दुःखी शिक्षक सरकार को धूल चटाने के लिए तैयार बैठा है, यह बात सरकार भी जानती है लेकिन उसका विजय रथ न रुके इसलिए वह चुनाव ही नहीं कराना चाहती है।

एमएलसी लखनऊ खण्‍ड निर्वाचन क्षेत्र से ताल ठोकने की घोषणा कर चुके डॉ महेन्‍द्र नाथ राय ने कहा कि चाहे वित्तविहीन शिक्षकों की आर्थिक दशा हो या तदर्थ शिक्षकों के मुद्दे,  इन सब मुद्दों को लेकर सरकार से कोई सवाल-जवाब न कर सके, इसलिए सरकार शिक्षक और स्नातक प्रतिनिधियों को सदन में जाने से रोकने का पूरा प्रयास कर रही है। कोरोना काल का बहाना लेकर सरकार अपनी संवेदनहीन नीतियों का प्रदर्शन कर चुकी है। चुनाव भी आंदोलन का एक हिस्सा होता है सरकार के प्रत्याशियों की जमानत जब्त करा कर मतदाता उसकी नीतियों के प्रति अपना असंतोष प्रकट करता है।

कोरोना काल में सरकार की नीतियों के प्रति आक्रोश व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम सरकार के खिलाफ वोट देकर उसके प्रत्याशियों की जमानत जब्‍त कराना है। इसलिए जब आम जनता का चुनाव चुनाव आयोग द्वारा कराया जा रहा है तो फिर शिक्षकों और बेरोजगार स्नातकों की आवाज को दबाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?