-पैर कटने के बाद अपने हौसले से मुकाम हासिल कर रही है नीलू

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। नीलू उस समय सिर्फ 15 साल की थी जब पेड़ गिरने से घायल होने के बाद उसका दाहिना पैर घुटने के नीचे से काटना पड़ा था, लगभग एक साल नीलू को हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ा था। इसके बाद का सफर नीलू का केजीएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन के वर्कशॉप में बने नकली पैर के साथ चल रहा है। यह उसका तीसरा पैर है, हिम्मती नीलू को जीवनसाथी दिलवाला मिला, ऐसा दिलवाला जिसने नीलू के गुणों को देखा, उसकी दिव्यांगता को नहीं। महेन्द्र का यह कदम समाज के लिए प्रेरणास्रोत भी है।
26 वर्षीय महेन्द्र मुम्बई में मैकेनिकल इंजीनियर हैं। पांच माह पूर्व जून माह में महेन्द्र और नीलू वैवाहिक बंधन में बंधकर जीवनसाथी बन गये। आपको बता दें कि महेन्द्र दिव्यांग नहीं हैं, उसने नीलू के व्यवहार और गुणों के बारे जानकर उसे जीवन साथी बनाने का निर्णय लिया। वह साफ कहते हैं कि मैंने नीलू को जीवनसाथी चुनकर कोई अहसान नहीं किया है, मैंने उनके गुणों और स्वभाव को देखकर ही उन्हें जीवनसाथी बनाने का फैसला किया। खुले विचारों वाला जीवनसाथी पाकर नीलू भी खुश है, दोनों का विवाह उनके पारिवारिक मित्र ने तय कराया था। नीलू की हिम्मत और उसके स्वाभिमान ने कभी भी उसे कमजोर नहीं होने दिया। नकली पैर के साथ भी नीलू इस तरह रहती है मानो उसे कुछ हुआ ही न हो। अपनी हिम्मत के राज के बारे में नीलू कहती हैं कि मेरा मानना है कि शरीर किसी का भी कैसा हो लेकिन मन सभी का एक जैसा होता है, इसीलिए किसी भी परिस्थिति में मन से हार नहीं माननी चाहिये, मैंने इसी बात को अपनाया है।
विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान इस बारे में डीपीएमआर के वर्कशॉप की प्रभारी और नीलू का नकली पैर बनाने वाली शगुन सिंह बताती हैं कि नीलू ने शुरू से बहुत हिम्मत रखी है, यही वजह है कि उसे नकली पैर के साथ चलने में कोई दिक्कत नहीं महसूस होती है। शगुन सिंह ने बताया कि नीलू के लिए बनाया गया पैर स्पेशल तरीके से बनाया गया है क्योंकि घुटने के नीचे के कटा पैर का घुटने के नीचे का हिस्सा लम्बे समय से मुड़े रहने के कारण नकली पैर को उसी के हिसाब से बनाना था। शगुन बताती हैं कि बनाये गये पैर में पीछे विन्डो भी बनायी गयी है जिससे सहूलियत हो सके।
