Wednesday , October 11 2023

जब डॉ बिपिन पुरी महिला चिकित्‍सक का जवाब सुनकर निरुत्‍तर हो गये थे…

-महिला सुरक्षा सप्‍ताह के समापन पर केजीएमयू में आयोजित समारोह में कुलपति ने साझा किये अनुभव

-इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रमों की सराहना की डॉ पुरी ने

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने कहा कि महिलाओं को अब शक्ति प्रदान करने की जिम्मेदारी समाज की है। महिलाएं आगे बढ़कर हर तरह की जिम्‍मेदारी उठाने की हिम्‍मत दिखा रही हैं, ऐसे में महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदलने का समय आ गया है, समाज को न सिर्फ अपनी सोच बदलनी चाहिये बल्कि महिलाओं को आगे आने में मदद करें। महिलाओं की बदलती सोच को लेकर उन्‍होंने अपने सेना में सेवा की अवधि का एक ऐसा ही अनुभव साझा किया जिसे सुनकर वह भी निरुत्‍तर हो गये थे।   

कुलपति आज केजीएमयू के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के तत्वावधान में छात्राओं एवं अध्यापिकाओं की सहभागिता एवं सुरक्षा के लिए आयोजित महिला सुरक्षा सप्ताह के समापन समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में सम्‍बोधित कर रहे थे। महिला सुरक्षा सप्‍ताह का आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार एवं महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के पत्रानुसार किया गया। इसकी शुरुआत 17 अक्‍टूबर को की गयी थी।

डॉ पुरी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक बार एक महिला चिकित्‍सा अधिकारी उनके पास आयीं और कहा कि महिलाओं की ड्यूटी अन्‍य जवानों की तरह फ्रंट पर क्‍यों नहीं लगायी जाती है, यह कहते हुए उन्‍होंने अपनी ड्यूटी पहाड़ों पर फ्रंट में लगाने का अनुरोध किया, इस पर उन्‍होंने उन महिला चिकित्‍सक से कहा कि वहां का तापमान बहुत कम होता है, वहां ज्‍यादातर पुरुष जवान ही रहते हैं, तो ऐसे में आपको दिक्‍कत नहीं होगी। इस पर महिला ने कहा कि नहीं मुझे कोई दिक्‍कत नहीं होगी इस पर फि‍र डॉ पुरी ने उनसे कहा कि दरअसर वहां सुविधाओं का अभाव रहता है, ऐसे में आपको अगर वॉश रूम की जरूरत पड़ी तो आप क्‍या करेंगी, डॉ पुरी ने बताया कि इस पर उस महिला चिकित्‍सक ने जो मुझे जवाब दिया उसे सुनकर मैं निरुत्‍तर हो गया, साथ ही महिला के विश्‍वास, आत्‍मविश्‍वास और बहादुरी का कायल हो गया। उसका जवाब था कि सर अगर ऐसी स्थिति आयेगी तो मुझे अपने साथी जवानों पर पूरा विश्‍वास है, वे स्‍वयं मेरे लिए वॉशरूम की दीवार बन कर खड़े हो जायेंगे।

डॉ पुरी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व में 35 प्रतिशत महिलाएं कभी न कभी घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। अब समय आ गया है कि महिलाएं दिखाएं कि वह किसी से कम नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यूनाइटेड नेशन द्वारा भी महिलाओं को शक्ति देने पर जोर दिया जा रहा है। कुलपति ने कहा किसी के भी जीवन में महिलाओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है लेकिन इसके बावजूद भी उनके साथ गलत व्यवहार चिंता का विषय है।

महिला सुरक्षा कार्यक्रम के समापन समारोह का आयोजन डॉ विनोद जैन, अधिष्ठाता, पैरामेडिकल विज्ञान संकाय के नेतृत्व में किया गया, जिसमें महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए रंगोली, नृत्य एवं गायन की प्रस्तुति भी हुई। प्रो0 विनोद जैन ने कहा कि समय बदल रहा है और युग भी बदलेगा उन्‍होंने पूरे सप्ताह किए गए कार्यक्रमों की जानकारी दी।

आज आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में ए0सी0पी0, कमिश्नरेट, लखनऊ श्वेता श्रीवास्तव ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया। उन्होंने छात्राओं को महिला सुरक्षा से जुड़े कानूनी मुद्दों  के विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि हर एक महिला को अपनी सुरक्षा के लिए तीन बातों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए -चैतन्य, जागरूक और समस्या के समाधान हेतु पहल करना।

समापन कार्यक्रम में 600 सीट की क्षमता वाले हॉल में लगभग 150 लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रतिकुलपति प्रो0 जी0 पी0 सिंह, सह-अधिष्ठाता, पैरामेडिकल संकाय, डॉ अनीत परिहार, प्रो0 अतिन सिंघई, डॉ गीतिका नंदा सहित समस्त पैरामेडिकल संकाय सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शालिनी गुप्ता ने किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त पैरामेडिकल संकाय सदस्यों का सक्रिय योगदान रहा।