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डॉक्‍टरों-अस्‍पतालों पर हमले करने वालों के खिलाफ बनेगा पृथक कानून

पृथक कानून पर सुझाव के लिए अंतर मंत्रालय समिति गठित, पहली बैठक 10 जुलाई को
आईएमए के महासचिव डॉ आरवी अशोकन ने की सरकार के इस कदम की सराहना
 डॉ आरवी अशोकन, महासचिव, आई एम ए 

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ/नई दिल्ली। डॉक्टरों के साथ मारपीट और अस्पताल में तोड़फोड़ को लेकर लंबे समय से चली आ रही कानून बनाने की डॉक्टरों की मांग पर सरकार एक कदम आगे बढ़ी है। इस तरह की हिंसा में सजा का प्रावधान करने के लिए पृथक कानून बनाने के लिए सरकार ने एक अंतर मंत्रालय समिति का गठन किया है।  इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद के सरकार उन राज्‍यों को अलग से कानून बनाने का सुझाव देगी जिन राज्‍यों में वर्तमान में इस सबके लिए कोई कानून नहीं है।

 

मिली जानकारी के अनुसार गठित इस समिति की पहली बैठक कल बुधवार 10 जुलाई को होगी। इस कमेटी में कुल 10 लोग हैं जिसमें एक चेयरपर्सन तथा बाकी नौ सदस्‍य हैं। इन सदस्‍यों में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष या सचिव को भी शामिल किया गया है। इस मुद्दे को लेकर लम्‍बे समय से लड़ाई लड़ रहा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना की है। आई एम ए के राष्ट्रीय महासचिव डॉ आरवी अशोकन ने ‘सेहत टाइम्स’ से कहा कि डॉक्टरों पर हिंसा करने वालों के खिलाफ कानून बनाने की दिशा में यह एक अच्छा संकेत है। उन्होंने बताया कि कल इस समिति की पहली बैठक होगी।

 

आपको बता दें कि देश भर के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में अपने हड़ताली सहयोगियों के समर्थन में जून में विरोध प्रदर्शन किया था और उनके संरक्षण के लिए एक व्यापक केंद्रीय कानून की मांग कर रहे थे।

 

आईएमए ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी लिखा था कि अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा की जांच के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग की थी। इधर फि‍र दिल्ली के अस्पतालों से भी ड्यूटी पर डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आई हैं।