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केजीएमयू में 10 माह के बच्‍चे के फेफड़े की जटिल सर्जरी

-बड़ी गांठ से दबकर सिकुड़ने के कारण सांस लेने में हो रही थी दिक्‍कत

-पीडियाट्रिक सर्जन प्रो जेडी रावत व टीम ने बच्‍चे को दी नयी जिन्‍दगी

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ जेडी रावत व उनकी टीम ने सर्जरी कर 10 माह के बच्चे की छाती में बायीं तरफ एक बड़ी गांठ निकालकर दबे फेफड़े को सामान्य अवस्था में लाने में सफलता प्राप्त की है। 7 दिन बाद बच्चे को छुट्टी दे दी गई, बच्चा ठीक है।

सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ जे डी रावत ने बताया कि कुशीनगर निवासी मुन्ना और सुंदरी अपने 10 महीने के इकलौते बेटे को लेकर काफी परेशान थे, क्योंकि पिछले 2 महीनों से बच्चे को खांसी, सांस लेने में परेशानी, सांस का तेजी से चलना और आये दिन निमोनिया की शिकायत बढ़ती जा रही थी। कोरोना काल में कई जगह बच्चे को दिखाया लेकिन कहीं कोविड की वजह से इलाज करने से मना कर दिया गया तो कहीं इलाज के बाद भी आराम नहीं मिला। इसके बाद बच्चे के माता पिता केजीएमयू पहुंचे। बच्चे को प्रो जेडी रावत की देखरेख में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया। कोरोना जांच की औपचारिकता पूरी कराने के बाद जब एक्स-रे और सीटी स्कैन कराया गया तो पता चला कि बायीं तरफ का फेफड़ा छाती में गांठ होने के कारण पूरी तरह से सिकुड़ चुका है, इसी वजह से बच्चा सांस लेने में असमर्थ होता जा रहा था। इमरजेंसी जैसी स्थिति बनने के कारण तुरंत बाईं छाती में नली डाली गई जिससे बच्चा सांस ले सके,  इससे बच्चे को काफी आराम मिला इसके बाद बच्‍चे की सर्जरी प्‍लान करते हुए तैयारियां शुरू कर दी गयीं। बच्चे में रक्त की कमी को पूरा कर सर्जरी के लिए तैयार किया गया। निश्‍चेतना विभाग की प्रो विनीता सिंह और डॉ रवि‍ प्रकाश की टीम ने तैयारी के तौर पर ऑपरेशन के बाद वेंटिलेटर की जरूरत पड़ने की बात कही। सारी तैयारियों के बाद 21 जून को बच्चे को जनरल एनस्थीसिया देकर छाती को खोलकर ऑपरेशन शुरू किया गया।

डॉ रावत बताते हैं कि गांठ इतनी बड़ी थी कि पूरे फेफड़े को दबा चुकी थी, गांठ दिल के पास पेरिकार्डियम और थायमस ग्लैंड से भी जुड़ी हुई थी, ऐसी अवस्था में इसे निकालना और भी चुनौतीपूर्ण था, डॉ रावत और उनकी टीम ने कुशलता के साथ सर्जरी को अंजाम दि‍या और गांठ को बाहर निकाल दिया। इस दौरान एनेस्थीसियोलॉजी के चिकित्सकों ने भी पूरी कुशलता का परिचय दिया और सर्जरी के पश्‍चात बच्चे को बेहोशी से बाहर निकाला। उसे पोस्ट ऑप वेंटीलेटरी सपोर्ट की आवश्यकता नहीं हुई। सातवें दिन छाती में पड़ी आईसीडी यू को बाहर निकाल दिया गया और 28 जून को बच्चे को छुट्टी दे दी गई। सर्जरी करने वाली टीम में प्रो जेडी रावत के साथ डॉ सर्वेश कुमार, डॉ आनंद पांडेय, के अलावा सिस्‍टर वंदना, संतोष और दीपिका शामिल रहे।