Wednesday , October 11 2023

दिल का सिकुड़ा हुआ वॉल्‍व बिना बदले ठीक कर दिया कार्डियोलॉजिस्‍ट ने

अजंता हॉस्पिटल के विशेषज्ञ ने कैथेटर से बैलूनिंग करके किया ट्रीटमेंट  

लखनऊ। दिल का वॉल्‍व सिकुड़ने के कारण पिछले 6-7 सालों से परेशानी झेल रहे व्‍यक्ति का बिना वॉल्‍व बदले उसे ठीक कर उसे अजन्‍ता हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्‍ट ने नयी जिन्‍दगी दी है। कैथेटर द्वारा पैर के रास्‍ते बैलूनिंग करके किये गये इलाज के कुछ ही घंटे बाद अब मरीज ठीक है, तथा बुधवार को उसको घर भी भेज दिया जायेगा।

 

डॉ अभिषेक शुक्‍ला

सुपर स्‍पेशियलिस्‍ट कार्डियोलॉजिस्‍ट डॉ अभिषेक शुक्‍ला ने बताया कि बहराइच का रहने वाला 35 वर्षीय फतेह मोहम्‍मद का 6-7 साल से दिल का एक वॉल्‍व सिकुड़ा हुआ था। उसने जहां भी इलाज कराया वहां उसे सांस रोग की दवायें, दिल की धड़कन बढ़ने की दवायें आदि दी गयीं लेकिन उसे फायदा नहीं पहुंचा। उन्‍होंने बताया कि‍ उसे यह भी किसी चिकित्‍सक ने सलाह दी कि हार्ट का वॉल्‍व बदलना पड़ेगा। मुंबई में काम करने वाले मरीज का कहना है कि उसकी आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वह वॉल्‍व बदलने का खर्च वहन कर सके।

 

मरीज के अनुसार साल भर पहले तकलीफ बहुत बढ़ गयी तो काम भी छूट गया और उसे घर पर बैठना पड़ा, यानी ऐसे में वह दोहरी मार का शिकार हुआ, आमदनी बंद, बीमारी चरम पर, इसके बाद जैसे-तैसे लोगों ने चंदा लगाकर उसके इलाज के लिए मदद की लेकिन वह इतनी नहीं थी कि वह वॉल्‍व बदलवा सके। मरीज के अनुसार तभी उसे किसी ने अजंता हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्‍ट डॉ अभिषेक शुक्‍ला को दिखाने की सलाह दी। डॉ शुक्‍ला ने बताया कि उन्‍होंने जब मरीज के रोग को देखा तो बैलूनिंग करके सिकुड़े वॉल्‍व को ठीक करने का निर्णय लिया। इसके बाद मरीज की आर्थिक स्थिति देखते हुए उसे विशेष रियायत देते हुए उसका बैलूनिंग ट्रीटमेंट प्‍लान किया जिसे आज मंगलवार को किया गया। इसमें मरीज के पैर के रास्‍ते से कैथेटर डालकर बैलूनिंग कर सिकुड़ा हुआ वॉल्‍व ठीक कर दिया गया। डॉ अभिषेक ने बताया कि मरीज अब ठीक है सांस भी ठीक से ले पा रहा है, ब्‍लड प्रेशर भी ठीक है। उसे कल छुट्टी दे दी जायेगी।

 

इसके कारण के बारे में पूछने पर डॉ अभिषेक ने बताया कि यह एक प्रकार के बैक्‍टीरिया के संक्रमण से होता है। इस बैक्‍टीरिया को ग्रुप ए स्‍ट्रेप्‍टोकोकस कहते हैं। सामान्‍यतया इसके मरीज 15 से 40 वर्ष की आयु के होते हैं। इसमें व्‍यक्ति को सांस लेने में दिक्‍कत होती है तथा उसके दिल की धड़कन तेज रहती है। इसका समय पर समुचित इलाज न हो तो व्‍यक्ति की मृत्‍यु भी हो सकती है।