-राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर पांच सदस्यीय पीठ का एकमत से फैसला
-बिना अवकाश लगातार सुनवाई, समय सीमा का निर्धारण रहा महत्वपूर्ण
लखनऊ/नयी दिल्ली। देश के सबसे बड़े विवाद कहे जाने वाले अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का आज सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने पटाक्षेप कर दिया। वैज्ञानिक आधार और सबूतों को सर्वोपरि रखते हुए दिये गये इस निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने यह भी साफ कर दिया कि फैसला आस्था के चलते नहीं वैज्ञानिक आधार और सबूतों को सर्वोपरि रखते हुए दिया गया है। सम्पर्ण 2.77 एकड़ भूमि पर रामजन्म भूमि न्यास का अधिकार बताते हुए इसे विराजमान रामलला के पक्ष में देते हुए मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया वहीं मामले के पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी अयोध्या में किसी स्थान पर पांच एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए देने के आदेश भी सरकार को दिये हैं। इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दशकों से चल रहे इस संवेदनशील विवाद का अंत सुप्रीम कोर्ट ने जिस खूबसूरती से किया है उसकी सर्वत्र सराहना हो रही है। इस फैसले की खास बात यह है कि इस फैसले को देने वाले पांच न्यायाधीशों मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने यह फैसला एकमत से दिया है। एक और खास बात यह मानी जा रही है कि पूरी विवादित भूमि का अधिकार रामलला को दिया है, इससे भविष्य में किसी प्रकार के विवाद की संभावना को पैदा होने देने का मौका नहीं बनेगा। ज्ञात हो हाई कोर्ट ने अपने आदेश में विवादित स्थल के तीन हिस्से किये थे जिनमें एक हिस्सा रामलला को, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को तथा एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था। हालांकि ऐसा नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष का खयाल नहीं रखा है, पीठ ने आस्था से जुड़े इस मसले पर मुस्लिम पक्ष की भावनाओं का भी खयाल रखते हुए उनके लिए पांच एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए देने के आदेश भी दिये हैं।
इसके अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व ही इस पर फैसला देने के लिए जिस तरह से बिना किसी अवकाश के सुनवाई पूरी की वह निश्चित रूप से सराहनीय है। यही नहीं फैसला सुनाने के एक दिन पूर्व शुक्रवार को स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ बैठक कर शांति व सौहार्द बनाये रखने के लिए की गयी तैयारियों पर बातचीत की वह मुख्य न्यायाधीश सहित पूरी संविधान पीठ के जजों की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (सीजेआई) ने कहा बाबर के समय मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी। 1949 में दो मूर्तियां रखी गई थी। सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद हिंदू स्ट्रक्चर के ऊपर बनाई गई। यह मस्जिद समतल स्थान पर नहीं बनाई गई। एएसआई की खुदाई में 21वीं सदी में मंदिर के साक्ष्य मिले। सीजेआई ने कहा की खुदाई के साक्ष्यों को अनदेखा नहीं कर सकते हैं। खोदाई में इस्लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले थे। सीजेआई ने यह भी कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू वहां राम चबूतरे और सीता रसोई पर पूजा होती रही थी।
